डॉक्टर अन्नवरपु गोपालकृष्ण का जन्म सन १९५० में रायपुर , छत्तीसगढ़ , में हुआ। उन्होंने अपनी एम बी बी एस तक की पढाई नागपुर में की और उसके बाद मुंबई से प्लास्टिक सर्जरी में एम एस किया।
कविता का शौक पुराना था । पढाई के साथ साथ क़लम भी चलती रही । रचना नवभारत टाइम्स में भी छपी ।
सन १९८३ में हैदराबाद में बस गए । गीत चांदनी और गोलकोंडा दर्पण के संपर्क में आने पर उर्दू में भी शायरी शुरू हुई । कई मंचों से कविता और ग़ज़ल का पाठ किया । कुछ ग़ज़लें मंच पर श्री विट्ठल राव और जनाब खान अतहर की आवाज़ों में पेश हुईं।
सन २०१० में पहला संग्रह ' तनहाई 'छपा। इसमें ३० हिंदी कविताएँ और २० उर्दू ग़ज़लें देवनागरी,रोमन,नस्तलिख और तेलुगु इन चार लिपियों में प्रस्तुत की गई थीं। ये एक नया प्रयोग था ।
डॉ गोपालकृष्ण और उनकी धर्मपत्नी डॉ श्यामला आजकल राजस्थान के माउंट आबू में रहते हैं . डॉ गोपालकृष्ण ग्लोबल हॉस्पिटल में प्लास्टिक सर्जन की हैसियत से कार्यरत हैं। इनकी दो बेटियां हैं,मृणालिनी और विभावरी । सूर्यनारायण शास्त्री और मृणालिनी के दो बच्चे हैं अभिमन्यु तथा अनघा । वे हैदराबाद ,तेलंगाना ,में रहते हैं। रोहित और विभावरी के दो बच्चे हैं अद्वय तथा अनन्या। ।वे आंध्र प्रदेश के विशाखा पट्नम में रहते हैं।
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